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शनिवार, 9 मार्च 2013

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन : हिंदी की सामर्थ्य को लेकर किसी फ्रिक की आवश्यकता नहीं


दुबई। हिंदी की सामर्थ्य को लेकर किसी फ्रिक की आवश्यकता नहीं है। हिंदी ने हर भाषा के शब्दों को अंगीकार कर उसे नई ताकत दी है। सच्चे मायनों में हिंदी की किसी भाषा के साथ कोई प्रतिस्पर्धा भी नहीं है। छठवें अंतरराष्ट्रीय हिदी सम्मेलन में सम्मिलित सभी विद्वान वक्ताओं का यही अभिमत था। अंतरराष्ट्रीय स्तर हिंदी की प्रतिष्ठा के लिए सक्रिय वेब पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम द्वारा आयोजित समारोह के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित रचनाकार डॉ. हरीश नवल ने कहा कि हिंदी को संस्कृत या हिंगलिश बनाना घातक होगा, बल्कि उचित होगा कि विदेशज शब्दों को उसी रूप में अंगीकार किया जाये। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के उपन्यासों के मूर्धन्य लेखक और अध्यक्ष डॉ. शरद पगारे का कहना था कि यदि पात्रों के चरित्र में उतर कर लिखना हो तो हिंदी से ज्यादा कोई दूसरी समर्थ भाषा है ही नहीं। स्वागत भाषण दिया सृजन-सम्मान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एच. एस. ठाकुर ने।

दुबई में शोध संगोष्ठी

संयुक्त राज्य अमीरात के दुबई में संपन्न हुई छठवें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में विमर्श का केंद्रीय विषय रहा – हिंदी की सामर्थ्य। इस विषय पर भाषा, शिल्प, विभिन्न विधाओं, कला, साहित्य, पत्रकारिता, रोजगार, प्रशासन आदि पर डॉ. शरद पगारे, डॉ. हरीश अरोड़ा, मेधा शर्मा, डॉ. कामराज संधु, डॉ. मंजूला दास, डॉ. विनय भरत, डॉ. रेणु यादव, डॉ. चंद्रकांत मिसाल, आशीष कांधवे, रश्मि भार्गव, राधेश्याम भारतीय, संगीता सक्सेना, डॉ. सूर्यमणि स्टेला कुजूर, राजेश्वर आनदेव, डॉ. आशा एस. नायर, उदर वीर सिंह, डॉ. कमलेश कुमारी, राजेश अग्रवाल, डॉ. आरती झा, चेतन भारतीय, डॉ. मुदुला जोशी, डॉ. मीना शर्मा, आदि ने अपना शोध आलेख का वाचन किया। सत्र का संचालन किया डॉ. कलानाथ मिश्र ने। सत्राध्यक्ष थे डॉ. अमर सिंह, देवकिशन राजपुरोहित, स्वामी शिवज्योतिषानंद, डॉ. सुनीति आचार्य तथा पूर्णिमा वर्मन।

आबूधाबी में रचना पाठ

अंतरराष्ट्रीय रचना पाठ वाले सत्र में जाने माने कथाकार लोकबाबू, हरीश नवल, राकेश अचल, मेजर रतन जांगिड, सुरेंद्र तिवारी, नीरजा द्विवेदी, प्रेमचंद सहजवाला, डॉ. सुधा शर्मा आदि ने अपनी कहानी, व्यंग्य, लघुकथा आदि का पाठ किया इसके अलावा डॉ. प्रेमचंद सहजवाला, सतीश बेदाग, लालित्य ललित, मुमताज, अशोक सिंघई, धनंजय सिंह, श्यामल सुमन, आशीष कांधवे, अयोध्या प्रसाद शुक्ल, जयकिशन पैन्युली, नीरज नैथानी, तिलकदास चोपड़ा, उदयवीर सिंह, खुशबू अग्रवाल, डॉ. सुनील जाधव, राजश्री झा, देवीप्रसाद चौरसिया, उमा चोपड़ा, रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ. आलोका दत्ता, डॉ. रवि शर्मा मधुप, डॉ. सूर्यमणि स्टेला कुजूर, प्रवीण गोधेजा, स्नेहसुधा आदि ने अपनी श्रेष्ठ कविताओं, गीतों, नवगीतों का पाठ किया। कविता पाठ सत्र में संयुक्त राज्य अमीरात से प्रवासी कवयित्री पूर्णिमा वर्मन, दिंगबर नासवा तथा कनक शर्मा ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन शायर मुमताज ने किया। इस विशेष सत्र का आयोजन आबूधाबी में अभिव्यक्ति पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन द्वारा किया गया, जिसमें अशोक शर्मा और कुलभूषण व्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा। कविता पाठ के तारतम्य में पूर्णिमा वर्मन, कुमार रवीन्द्र और शंभु कुमार झा के गीतों के फिल्म तथा शरद जोशी के व्यंग्य ‘शंख बिन कुतुबनुमा’ के नाट्य रूपांतर की प्रस्तुति भी मीरा ठाकुर और नागेश भोजने ने की।

सम्मेलन का खास आकर्षण रही पूर्णिमा वर्मन द्वारा कंप्यूटर से फोटो कोलाज शैली में प्रस्तुत नवगीत पोस्टर प्रदर्शनी। इसके साथ ही रोहित रुसिया, विजयेंद्र विज, अमिल कल्ला डॉ. जे. एस. बी. नायडू के कैनवासों की प्रदर्शनी लगाई गय़ी थी।

27 से अधिक कृतियों का विमोचन

सम्मेलन में कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, निबंध, बाल साहित्य आदि पर आधारित 27 से अधिक कृतियों का लोकार्पण भी हुआ जिसमें डॉ. दामोदर मोरे : सर्जक एवं सृजन (प्रो. कृष्ण संतोष राणे), मानिला की योगिनी (महेश चंद्र द्विवेदी), है आसमां कई और भी (नीरजा द्विवेदी), यात्रा क्रम (संपत देवी मुरारका), बादलों से ढक गया सूरज (डॉ. जे. एस. बी. नायडू), ग्लोबल मीडिया और हिंदी पत्रकारिता (डॉ. हरीश अरोड़ा), उदय शिखर (उदयवीर सिंह), कल्पवृक्ष सबके मन में (राधेश्याम भारतीय), मैं और अमलतास (सतीश बेदाग, सामाजिक मूल्य निर्धारण में सिनेमा की भूमिका (डॉ. चंद्रकांत मिसाल), हिंदी साहित्य और विविध आयाम (डॉ. सुनील जाधव), चंद्रगुप्त : राष्ट्रीय दृष्टि से अनुशीलन (डॉ. आरती झा), महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना का मनोविश्लेषण (डॉ. रेणु यादव, मैंने पाया है तुम्हें (डॉ. प्रभा कुमारी, सुरमई आखों में शरारत का चांद (प्रवीण गोधेजा, कविता की अंतर्यात्रा, वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस, इन दिनों (डॉ. मृदुला जोशी), नवरंगी (डॉ. मीना शर्मा), बूंद बूंद से बनती सरिता (डॉ. रवि शर्मा मधुप), पुष्प, प्रसून, पुहुप (डॉ. सुधा शर्मा) प्रमुख है। दो लघु पत्रिकाओं साहित्य नेस्ट (जयपुर) तथा आधुनिक साहित्य (दिल्ली) के नये अंकों का विमोचन भी उक्त अवसर पर किया गया।

कृष्ण बिहारी और पूर्णिमा वर्मन का सम्मान

सम्मेलन के अंलकरण सत्र के मुख्य अतिथि दुबई में भारतीय कौंसलावास में उप कौंसलाधीश (कामर्स एंड आरटीआई) पी. के. अशोक बाबू के करकमलों से उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित कथाकार लोकबाबू को कथा लेखन के लिए मिनीमाता सम्मान तथा प्रवासी लेखक कृष्ण बिहारी(कथा लेखन), पूर्णिमा वर्मन (इंटरनेट पर हिंदी का विकास) चित्रा जांगिड़ (नृत्य), लालित्य ललित (कविता), कुमेश जैन (फिलेटेली कार्य) आदि को सृजनगाथा सम्मान 2012 से अलंकृत किया गया। उक्त मौके पर प्रख्यात कत्थक गुरु बिरजू महाराज की शिष्या मेधा शर्मा (नासिक) ने कत्थक तथा जयपुर की प्रतिष्ठित कोरियोग्राफर चित्रा जांगिड़ ने राजस्थानी लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। आयोजन के अन्य सहयोगी प्रतिभागी थे – विक्की मलहोत्रा, शनि चावला, एहफाज रशीद, विराग पुंडलिक, सुखबीर सिंह, पुरुषोत्तम वर्मा, उधाप्रसाद साहू, महराज साहू, राजकुमार मुंगेर।

7 वां सम्मेलन वियतनाम-कंबोडिया में

सृजनगाथा के संपादक और अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के मुख्य समन्वयक डॉ. जयप्रकाश मानस ने घोषणा की कि अगला यानी 7 वां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन वियतनाम और कंबोडिया में किया जायेगा।

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