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शनिवार, 10 नवंबर 2012

महेश ‘दिवाकर’ को ‘विश्व हिन्दी सेवी सम्मान’


मुरादाबाद: महानगर मुरादाबाद के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार और गुलाबसिंह हिन्दू महाविद्यालय, चान्दपुर (बिजनौर) में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष- डॉ महेश ‘दिवाकर’ को मॉरिशस में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सेमिनार और हिन्दी साहित्य- समारोह में सम्मानित किया गया। ‘आधार शिला फाउण्डेशन’, भारत, मॉरिशस एवं यू के द्वारा दिनांक 28 अक्टूबर, 2012 से 3 नवम्बर 2012 तक मॉरिशस के महात्मा गांधी इंस्टीटयूट, में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी एवं साहित्य समारोह का भव्यतापूर्वक आयोजन किया गया जिसमें भारत से 32 हिन्दी सेवियों और प्राध्यापकों ने सहभागिता की। इस संगोष्ठी एवं समारोह में भारत, मॉरिशस, जौहान्सबर्ग, अफ्रीका, अमेरीका, इंग्लैण्ड, गुयाना, फ्रांस, जर्मनी आदि सहित कई देशों के हिन्दी प्रेमियों ने सहभागिता की। समारोह का उदघाटन 29 अक्टूबर, 2012 को महात्मा गाँधी इन्स्टीट्यूट, मौका (मॉरिशस) के सभागार में प्रातः 12 बजे मॉरिशस के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री मुकेश्वर लाल चुन्नी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने हिन्दी की अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका और वैश्विक बाजार में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए भारत और मॉरिशस के सांस्कृतिक सम्बन्धों का उल्लेख किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत से गये श्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड ने हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डाला। 'हिन्दी देश में दुनिया तक' शीर्षक से आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ महेश ‘दिवाकर’ ने ‘देश से विदेश तक हिन्दी की यात्रा’ शीर्षक से अपना शोधालेख प्रस्तुत किया। अनेकशः देशों से आये हिन्दी के विद्वानों और साहित्यकारों ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए और हिन्दी के महत्व को रूपायित किया। संगोष्ठी के उपरान्त विविध देशों के हिन्दी सेवियों को विभिन्न उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ महेश ‘दिवाकर’ को उनकी उपलब्धियों के लिए ‘विश्व हिन्दी सेवी सम्मान’ से विभूषित किया गया।

30 अक्टूबर, 2012 को 1:00 बजे से मॉरिशस के ‘राष्ट्रपति भवन’ में कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें महामहिम राष्ट्रपति श्री कैलाश ‘प्रयाग’ ने हिन्दी की विविध पुस्तकों का लोकार्पण किया। इसमें डॉ महेश ‘दिवाकर’ की सद्यःप्रकाशित काव्यकृति ‘नया भारत’ और डॉ मीना कौल द्वारा सम्पादित ग्रंथ- ‘डॉ महेश ‘दिवाकर’: समीक्षा के निकष पर’ का माननीय राष्ट्रपति जी के कर-कमलों से लोकार्पण हुआ। अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी- अपनी काव्यकृतियों का लोकार्पण कराया। तत्पश्चात् मॉरिशस की राजधानी पोर्टलुइस में कला एवं संस्कृति मंत्रालय के सभागार में केन्द्रीय मंत्री श्री मुकेश्वर लाल चुन्नी के आतिथ्य में ‘हिन्दी संस्कृति और विश्व में भारतीयता व मॉरिशस का हिन्दी साहित्य’ शीर्षक पर गोष्ठी हुई जिसमें भारत सहित कई अन्य देशों के साहित्यकारों ने अपने विचार प्रकट करते हुए अपनी गीत रचनाऐं भी पढ़ी। डॉ महेश ‘दिवाकर’ ने काव्य गोष्ठी का संचालन किया।

अस्तु! 28 अक्टुबर, 2012 की संध्या से प्रारम्भ होकर विभिन्न चरणों में 3 नवम्बर, 2012 तक विविध रूपों में हिन्दी के कार्यक्रम आयोजित हुए और हिन्दी के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व पर चर्चाएँ हुई। ‘हिन्दी विश्व यूनियन, मॉरिशस’ और ‘नागरी प्रचारिणी सभा, मॉरिशस’ के सभागारों में भी पृथक-प्रथक दिवसों और तिथियों पर कार्यक्रम आयोजित किए गये। यही नहीं, मॉरिशस के साहित्यकारों द्वारा भारतीय साहित्यकारों को मॉरिशस के पर्यटक स्थलों पर भी घुमाया गया। मॉरिशस के केन्द्रीय मंत्री श्री मुकेश्वरलाल चुन्नी, श्री अनिल कुमार बेचू, श्री विजय कुमार मधु, महानिदेशक महात्मा गांधी संस्थान, डॉ राज हीरामन, डॉ रामदेव धुरंधर, डॉ हेमराज ‘सुन्दर’, डॉ राजरानी गोविल (हिन्दी विभागाध्यक्ष) आदि की महत्वपूर्ण भूमिका आयोजन में रही। वहीं भारत से श्री दिवाकर भट्ट (कार्यक्रम संयोजक); श्री सुनीलशाह, (अमर उजाला) श्री भगतसिंह कोश्यारी, डॉ महेश ‘दिवाकर’, डॉ मीना कौल, डॉ ओम प्रकाश सिंह, डॉ महाश्वेता चुतर्वेदी, डॉ सतीश अग्रवाल, श्री अनिल पाण्डेय, डॉ करूणा, डॉ नारायण चन्द्र ताल्लुकेदार, डॉ दिवाकर भट्ट, डॉ आर सुमनलता, डॉ कृष्ण कुमार, डॉ जसवीर चावला, विज्ञानवृत, डॉ बैकुण्ठनाथ, वीरेन्द्र कुमार सिंह, नीता सिंह आदि की विशिष्ट भूमिका रही। 4 नवम्बर, 2012 को यह सांस्कृतिक दल भारत लौटा।

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