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मंगलवार, 17 जुलाई 2012

बीनू भटनागर और उनकी दो कविताएँ — अवनीश सिंह चौहान

बीनू भटनागर 

बीनू भटनागर का जन्म ०४ सितम्बर १९४७ को  बुलन्दशहर, उ.प्र. में हुआ। शिक्षा: एम.ए. ( मनोविज्ञान, लखनऊ विश्वविद्यालय) १९६७ में। आपने ५२ वर्ष की उम्र के बाद रचनात्मक लेखन प्रारम्भ किया। आपकी रचनाएँ-  सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी, माधुरी,  सृजनगाथा, स्वर्गविभा, प्रवासी दुनियाँ और गर्भनाल आदि में प्रकाशित। आपकी कविताओं की एक पांडुलिपि प्रकाशन के इंतज़ार में हैं।  व्यवसाय - गृहणी। सम्पर्क:   ए-१०४, अभियन्त अपार्टमैंन्ट, वसुन्धरा एनक्लेव, दिल्ली, - ११००९६, मो. - ९८९१४६८९०५ । आपकी दो रचनाएँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही हैं- 

चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार 
1. सोमोंगो झील 

सिक्किम की शान-
सोमोंगो झील
उज्जवल जल, नील, श्वेत, स्वच्छ।

चारों ओर से घिरी हिमगिरि से
बारह हज़ार पाँच सौ फ़ीट उच्च।

ना नौका विहार ना जल क्रीड़ाये
शाँत, सौम्य, निर्मल व स्वच्छ
प्रकृति का उत्कर्ष है या है स्वर्ग।

तट पर खड़े हो निहारो, सराहो
या करो याक पर बैठ परिक्रमा
चमकती धूप, चाँदी सी चमक
झील का जल प्राँजल व स्वच्छ।

2. भविष्य में बच्चे 

भविष्य मे बच्चे
लिखना नहीं सीखेंगे
स्लेट पकड़ने से पहले 
वो आई पैड पकड़ेंगे
 दो साल की उम्र मे ही 
वो विडियो गेम खेलेंगे। 

पढना भी वो नहीं सीखेंगे
वायस मेल समझेंगे 
सभी किताबें सुन कर ही
वो पाठ याद करेंगे
फिर उत्तर भी
वायस मेल पर ही
दिया करेंगे। 

स्कूल नहीं होंगे तब
कम्प्यूटर ही शिक्षा देंगे
और परीक्षा भी
कम्प्यूटर ही लेंगे। 

एक जगह बैठकर ही
सारे काम करेंगे
क्रिकेट खेलेंगे
कार चलायेंगे
दोस्तों से जिरह करेंगे। 

पीज़ा,बर्गर, चिप्स 
खायेंगे
कोल्ड ड्रिंक पियेंगे 
दाल रोटी नहीं खायेंगे
और दूध भी नहीं पीयेंगे 
नूडल्स और पास्ता खाकर
अपना पेट भरेंगे। 

मां के हाथ के मोज़े,टोपी, 
वो नहीं पहनेगे
पैदा होते ही अपना ब्रैंड 
सिलैक्ट करेगे।


3 टिप्‍पणियां:

  1. मां के हाथ के मोज़े,टोपी,
    वो नहीं पहनेगे
    पैदा होते ही अपना ब्रैंड
    सिलैक्ट करेगे।
    बहुत करारा व्यंग्य ..अब बहुत कुछ सच में बदल गया है अब माँ क्या होगी बाप कौन है ममता और प्यार क्या है ये भी भूल जायेंगे और चैटिंग में मस्त खाना सोना भी भूल जायेंगे कम्पूटर मिल जाए तो रात भर जागेंगे और कब सूरज निकलता है नेट में शायद देख पायेंगे ...अवनीश जी आप और वीनू जी को बधाई
    सुन्दर
    भ्रमर ५

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  2. बहुत खूब ... भविष्य के बच्चों का द्रश्य लाजवाब खींचा है ... पर ये समय अब आ ही चुका है ... बधाई इस लाजवाब रचना के लिए वीनू जी को ...

    जवाब देंहटाएं

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